सम्पादकीय

टिप्पणी- क्या दर्शक/जनता मूत की धार देखने भर के लिए ही है?

वर्तमान, लोकतंत्र और मीडिया

डॉ. इन्द्रेश मिश्र

अर्ज करने के साथ ही माफी चाहूँगा-

क्या दर्शक/जनता मूत की धार
देखने भर के लिए ही है?

१- मतलब अतीक का कोई भी
निजता का अधिकार नही रहा,
मीडिया जनता/ दर्शकों को मूत की
धार दिखा रही है?
जनता ने सबका देख लिया है,
कुल मिलाकर सब नंगे ही निकले,
कुछ भी दिखा दे रहे है।

अतीक को बकीलों से सलाह लेकर एक
मुकदमा तो करना ही चाहिए कि मीडिया
ने उसकी धार को सरेराह सार्वजनिक कर दिया।

अतीक को जाने दीजिये
अतीत के बारे में भी न सोचा।
इतना जुल्म कि दया न आयी,
ऊपर वाले का शुक्रिया कि
कैमरे का एंगल कुछ
इधर-उधर नही हुआ।

२-जरा ध्यान दीजिए-
इस फ्रेम में नीचे चल रहे स्क्राल में इस टाइप के प्रोडक्ट का प्रचार करके मीडिया क्या बताना चाह रही है।
कुछ तो advertisement और frame को सोच-समझकर चलाये।

एक-आध PIL तो बनती ही हेै जिससे कि दुंर्दांत अपराधी या किसी और की मूत की धार दर्शकों को न दिखने पाये।

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