सम्पादकीय

संपादकीय -भाजपा के हिंदुत्व पर मुस्लिमों के विकास का वोट गणित

हिन्दू ,मुस्लिम,सिख, ईसाई आपस में है सब भाई-भाई। यह कागजों पर लिखा है, किताबों से हर आम और खास शख़्स ने पढ़ा है। लेकिन क्या वर्तमान परिवेश में ऐसा है, आज के समय में इसका उत्तर भी हर भारतीय के पास होगा? भारत में मुख्य धर्मो में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म है। हिन्दू धर्म के […]

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संपादकीय- क्या है समान नागरिक संहिता ! 2024 लोकसभा चुनाव में बनेगा भाजपा के तरकश का तीर?

समान नागरिक संहिता क्या है जानने से पहले, जानना होगा संविधान के अनुच्छेद 44 और सिविल व आपराधिक कानूनों के बारे में –सिविल लॉ या नागरिक कानूनों और आपराधिक कानूनों या क्रिमिनल लॉ के बीच अंतर- भारत मे क्रिमिनल लॉ सभी के लिए समान हैं और सभी पर समान रूप से लागू भी होते हैं, […]

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सम्पादकीय- छुट्टा जानवरों का आतंक, खेतों में गुजर रहा किसानों का दिन हो या रात!

डॉ. इन्द्रेश मिश्रा, सम्पादक भारत में विश्व का सर्वाधिक पशुधन है। भारत में 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है। इस पशुधन जनगणना में वर्ष 2018 की जनगणना की तुलना में 4.6% की वृद्धि हुई है। उपरोक्त तथ्यों पर गौरवान्वित होने के बावजूद-भ्रष्टाचार, बिजली, सड़क, पानी, महंगाई, कम होती नौकरियां, […]

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दिल तो है दिल, दिल का ऐतवार क्या कीजे! “कम उम्र में हार्ट अटैक से होती मौतें. . . . . .”

डॉ. इन्द्रेश मिश्रा का सम्पादकीय विश्लेषण और डॉ. सुरेन्द्र अग्रवाल की चिकित्सीय सलाह चौकानें बाली खबर थी, गुजरात के जामनगर शहर में 1982 में जन्मे 16000 से अधिक मरीजों के दिल का इलाज कर जीवन बचाने वाले 41 वर्षीय प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ गौरव गांधी का 6 जून 23 की सुबह दिल का दौरा […]

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संपादकीय : आखिर पहलवानों के ‘तन के शोषण’ की ‘मन की बात’ क्यों नही सुनते सरकार!

डॉ. इन्द्रेश मिश्रा आखिर महिला पहलवानों ने अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीते गये मेडलों को गंगा में प्रवाहित करने का फ़ैसला ले लिया था, लेकिन जद्दोजहद के बाद भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने उन मेडलों को गंगा में विसर्जित होने से बचा लिया, यह वादा करते हुये कि वह उन सभी को […]

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टिप्पणी- क्या दर्शक/जनता मूत की धार देखने भर के लिए ही है?

वर्तमान, लोकतंत्र और मीडिया डॉ. इन्द्रेश मिश्र अर्ज करने के साथ ही माफी चाहूँगा- क्या दर्शक/जनता मूत की धारदेखने भर के लिए ही है? १- मतलब अतीक का कोई भीनिजता का अधिकार नही रहा,मीडिया जनता/ दर्शकों को मूत कीधार दिखा रही है?जनता ने सबका देख लिया है,कुल मिलाकर सब नंगे ही निकले,कुछ भी दिखा दे […]

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संपादकीय-देश में संवैधानिक पद धारित व्यक्तियों का चुनाव प्रचार करना कितना उचित?

डॉ. इन्द्रेश मिश्रा राजनीति के द्वारा प्राप्त संवैधानिक पद सिर्फ और सिर्फ पार्टीगत चुनाव प्रचार के लिए होता जा रहा है, न कि पद की जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु यह कितना उचित है सोचने वाली बात है। जबकि यही पक्ष-विपक्ष के विधान निर्माता संविधान की शपथ लेते समय जाति, धर्म-सम्प्रदाय से परे हटकर देशहित को […]