लखनऊ मंडल ब्यूरो।
मिश्रिख (सीतापुर), स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मरीजों की दबंगई मुंह चढ़कर बोल रही है। जिसके कारण यहां कार्य करने वाले सरकारी और संविदा कर्मचारियों में दहशत का महौल है। इसी वजह से कार्य करना मुश्किल हो रहा है।
ऐसा ही एक वाकया उस वक्त देखने को मिला जब लगभग 30 सप्ताह की गर्भवती महिला राधा पत्नी गोलू, निवासी-अरवापुर, नीमसार-मिश्रिख का प्राथमिक इलाज अस्पताल के कार्मिकों द्वारा कर दिया गया।
वहीं उच्च स्तरीय इलाज हेतु जिला अस्पताल रिफर कर दिया। मरीज के पति ने यह कहकर अस्पताल परिसर के कर्मचारियों के साथ ही ड्राइवर और एम्बुलेंस में कार्यरत महिला कार्मिक से बबाल और अभद्रता करना शुरू कर दिया कि एम्बुलेंस दो-ढाई घंटे में आयी है।
गोलू (मरीज राधा का पति)
इस बाबत एम्बुलेंस कर्मी का कहना है कि ‘मेरे पास दोपहर 1 बजकर 16 मिनट पर कंट्रोल रूम से कॉल आयी, एम्बुलेंस अस्पताल परिसर के पास ही थी तो मरीज के पास 2 मिनट के अंदर 1 बजकर 20 मिनट पर पंहुच गयी। सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम न होने के कारण ऐसी घटनाओं का सामना यहां के डॉक्टरों, स्टाफ नर्सों और कर्मचारियों को आये दिन करना पड़ता है।