आरएनए डेस्क (नई दिल्ली)
Electoral Bonds: भारत के वित्त मंत्रालय ने चुनावी बांड की 23 वीं किस्त जारी करने को मंजूरी दे दी है और एसबीआई की शाखाओं में आज 9 नवंबर (बुधवार) से इसकी बिक्री शुरू हो गई है। सरकार द्वारा बॉन्ड के 23वें चरण की बिक्री के लिए भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की 29 शाखाओं को चुनावी बॉन्ड जारी करने और भुनाने के लिए अधिकृत किया गया है। चुनावी बॉन्ड 9 नवंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक खरीदा जा सकता है।
मुख्य बिंदुओं पर एक नजर-
-चुनावी बॉन्ड की पेशकश साल 2017 में फाइनेंशियल बिल के साथ की गई थी।
-29 जनवरी, 2018 को केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम 2018 को अधिसूचित किया
-चुनावी बांड के पहले बैच की बिक्री मार्च 1-10, 2018 से हुई थी।
चुनावी बांड है क्या-
चुनावी बांड से मतलब एक ऐसे बांड से होता है जिसके ऊपर एक करंसी नोट की तरह उसकी वैल्यू या मूल्य लिखा होता है। चुनावी यानी इलेक्टोरल बांड का इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं और संगठनों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने 2017-18 के बजट में चुनावी बांड (Electoral Bond) शुरू करने के एलान के समय सरकार ने कहा था इससे देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे में पारदर्शिता आएगी।
कैसे मिलता है राजनतिक दलों को पैसा–
आपके द्वारा खरीदे गए हर चुनावी बॉन्ड की मियाद होती है और पार्टियों को इस तय समय के भीतर ही बॉन्ड भुनाकर अपना पैसा बैंकों से लेना होता है। अगर कोई दल ऐसा नहीं कर पाया तो उसका बॉन्ड निरस्त कर दिया जाता है और पैसा बॉन्ड खरीदने वाले को वापस कर दिया जाता है। इसके लिए दलों को 15 दिन का समय दिया जाता है और इस समय सीमा के भीतर ही बॉन्ड भुनाना जरूरी है। बॉन्ड खरीदने के बाद ग्राहक इसे अपनी पसंद की पार्टी को देता है और वह बैंक से पैसा लेती है।
बॉन्ड खरीदने वाले को क्या फायदा–
अगर आप किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा देना चाहते हैं तो सीधे पैसे देने के बजाए चुनावी बॉन्ड के जरिये पैसे जमा कर सकते हैं। इसके एवज में आपको दिए गए पैसे पर टैक्स छूट मिल जाएगी। आयकर की धारा 80जीजीसी और 80जीजीबी के तहत यह छूट दी जाती है। वैसे तो बॉन्ड खरीदने में लगाए पूरे पैसे पर टैक्स छूट मिल जाती है, लेकिन यह राशि कि व्यक्तिगत करदाता की कुल टैक्सेबल इनकम से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कंपनियों के मामले में यह राशि उनके तीन साल की कुल शुद्ध मुनाफे का 7.5 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
चुनावी बांड कौन खरीद सकता है?
चुनावी बांड भारतीय नागरिकों या देश में निगमित या स्थापित संस्थाओं द्वारा खरीदे जा सकते हैं। नियमानुसार बॉन्ड खरीदने वाला 1 हजार से लेकर 1 करोड़ रुपए तक के बॉन्ड खरीद सकता है। खरीदने वाले को बैंक को अपनी पूरी KYC डीटेल में देनी पड़ती है। खरीदने वाला जिस पार्टी को बॉन्ड डोनेट करना चाहता है, उसे पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कम से कम 1फीसदी वोट मिला होना चाहिए।
पार्टियों के लिए नियम और शर्तें
कोई भी पार्टी जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (1951 का 43) की धारा 29A के तहत पंजीकृत है और हाल के आम चुनावों या विधानसभा चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट हासिल किया है, चुनावी बॉन्ड प्राप्त करने के लिए पात्र है। पार्टी को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) द्वारा एक सत्यापित खाता आवंटित किया जाएगा और चुनावी बांड लेनदेन केवल इस खाते के माध्यम से किया जा सकता है। डोनर द्वारा बॉन्ड डोनेट करने के 15 दिन के अंदर इसे उस पार्टी को चुनाव आयोग से वैरिफाइड बैंक अकाउंट से कैश करवाना होता है। अभी तक सालभर में सिर्फ 75 दिन ही बॉन्ड जारी किए जा सकते थे, अब सरकार ने नियम बदलकर 85 दिन कर दिया है।
दलों के लिए क्या है जरूरी
राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड पाने के लिए बैंक में अपना खाता खुलवाना पड़ेगा। इस खाते को चुनाव आयोग वेरिफाई करेगा। इसके बाद ही पार्टियां बॉन्ड का पैसा अपने खाते में डाल सकेंगी। ऐसा नहीं है कि आप जब चाहे इस बॉन्ड को खरीद सकते हैं। इसके लिए पहले से ही बाकायदा डेट निर्धारित होगी।
चुनावी बांड से जुड़ी 10 खास बातें…
-चुनावी बांड 1000, 10,000 और 1 लाख और 1 करोड़ रुपये के मल्टीपल में खरीदे जा सकते हैं।
-इस बार बांड्स देश भर में SBI की 29 चुनिंदा ब्रांचेज पर उपलब्ध होंगे
-चुनावी बांड सिर्फ वही खरीद सकते हैं जिनके खाते का केवाईसी वेरिफाइड होगा
-चंदा देने वाले लोग इन बांड्स को अपनी पसंद की पार्टी को बांड खरीदने के 15 दिन के भीतर देना होगा
-पॉलिटिकल पार्टी इस बांड को बैंक में वेरिफाइड एकाउंट के जरिए कैश कराएंगी
-पार्टियों को बांड कलेक्ट करने के लिए बैंक में अपना खाता खोलना होगा और इसे चुनाव आयोग से वेरिफाई कराना होगा।