बीते 10 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव का निधन होने के बाद से समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने कई चुनौतियां देखने को मिल रही है। उनके निधन के बाद उनकी संसदीय सीट मैनपुरी पर अब उपचुनाव होंगे लेकिन इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए मुश्किलें बहुत है, क्योंकि 6 नवंबर को गोला गोकर्णनाथ में हुए उपचुनाव में समाजवादियों की करारी हार हुई है। इसी बीच हेट स्पीच मामले में समाजवादी नेता आज़म खान को 3 साल की सज़ा सुनाई गई और उनकी विधानसभा सदस्यता भी रद्द की गई जिसके चलते उनकी विधानसभा सीट जो कि रामपुर है वहां अब 5 दिसंबर को दोबारा मतदान होंगे।
समाजवादी पार्टी के लिए इस बार रामपुर सीट इतनी आसान नहीं है क्योंकि भाजपा उन्हें कड़ी टक्कर दे रही है लेकिन मैनपुरी सीट हमेशा से समाजवादियों का गढ़ रही है। आखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव पिछले 33 सालों से मैनपुरी सीट पर अपनी जबरदस्त पकड़ रखे हुए थे, वे कभी खुद इस सीट पर सासंद चुने जाते या अपने परिवार या पार्टी के नेताओं को वे सासंद बनाते रहे थे। जब तक मुलायम यादव ज़िदा थे इस सीट पर हुए उपचुनावों में भी समाजवादी पार्टी ही जीती। ऐसे में यदि इस बार अखिलेश यादव की पार्टी मैनपुरी सीट नहीं जीत पाती तो इसका असर उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा, साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी इसका बुरा असर रहेगा।
मैनपुरी सीट पर तीसरी बार उपचुनाव होने जा रहा है, 2004 में पहली बार इस सीट पर उपचुनाव हुआ था जब मुलायम सिंह यादव को मुख्यमंत्री बनने के लिए इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा और धमेंद्र प्रधान को सांसद चुना गया।
2014 में दूसरी बार यहा उपचुनाव हुआ जब मुलायम मैनपुरी और आज़मगढ दोनों सीट से चुनाव जीते थे, तब उन्होंने मैनपुरी से इस्तीफा दिया और तेज प्रताप यादव को यहां का सांसद चुना गया और अब 2022 में मुलायम सिंह के निधन के बाद मैनपुरी में उपचुनाव होंगे जिसके लिए नामांकन प्रकिया 10 नवंबर को शुरू हो जाएगी।
मैनपुरी में उपचुनाव की घोषणा होने के बाद वहां अब आचार-संहिता लागू हो चुकी है जिसकी वजह से अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी भी रद्द कर दी गई है जिसके आदेश खुद डीएम अविनाश किशोर ने दिए है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि अगर किसी को कोई ज़रूरी समस्या है और उसे छुट्टी चाहिए तो इसके लिए उसे डीएम की अनुमति लेनी होगी, इसके बाद ही छुट्टी मिल सकती है।