नई दिल्ली, ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2021 और 2022 के लिए दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।
राष्ट्रपति द्वारा साल 2021 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 25 व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों को दिए गए, जबकि 2022 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 29 व्यक्तियों, संस्थानों और संगठनों को उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण की दिशा में किए गए कार्यों के लिए प्रदान किए गए।
ये पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ दिव्यांगजन, श्रेष्ठ दिव्यांगजन, श्रेष्ठ दिव्यांग बाल और बालिका, दिव्यांगजन और सर्वश्रेष्ठ पुनर्वास पेशेवर कार्यकर्ता के सशक्तिकरण की दिशा में काम करने वाली सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति सहित विभिन्न श्रेणियों में दिए गए।
इन पुरस्कारों के चयन के लिए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग राज्य सरकारों व केन्द्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों को पत्र लिखकर विभिन्न श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए नामांकन देने के लिए आमंत्रित करता है। पुरस्कारों का व्यापक प्रचार और लोगों तक पहुंच प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय व क्षेत्रीय भाषा के दैनिक समाचार पत्रों में इसका विज्ञापन भी प्रकाशित किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया के बाद लोगों का चयन किया जाता है। इसी आधार पर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए वर्ष 2022 में 1210 आवेदन प्राप्त हुए थे, जबकि वर्ष 2021 में 844 आवेदन मिले थे। आवेदकों की ओर से प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच के बाद स्क्रीनिंग कमेटी ने सम्मानित होने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं इत्यादि का चयन किया।
दिव्यांगजनों के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाने की आवश्यकता पर दिया जोर
वहीं इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस’ का उद्देश्य दिव्यांगों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने दिव्यांगजनों के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे एक गरिमापूर्ण जीवन जी सकें और बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में भी भाग ले सकें।
राष्ट्रपति ने कहा, यह सुनिश्चित करना हम सबका, पूरे समाज का दायित्व बनता है कि सभी दिव्यांगजन स्वतंत्र रूप से एक गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति और परम्परा में डिसेबिलिटी को ज्ञान-अर्जन और उत्कृष्टता प्राप्त करने में कभी भी बाधा नहीं माना गया है। ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जिसमें हमारे दिव्यांग भाइयों-बहनों ने अपने साहस, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां हासिल की हैं।
‘पर्याप्त अवसर और सही वातावरण मिलने पर, दिव्यांगजन भी हर क्षेत्र में कर सकते हैं उत्कृष्ट प्रदर्शन’
राष्ट्रपति ने कहा, पर्याप्त अवसर और सही वातावरण मिलने पर, दिव्यांगजन भी हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। टोक्यो पैरालंपिक में हमारे पैरा ओलंपियन ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके इतिहास रचा और भारत का गौरव बढ़ाया।
‘शिक्षा, दिव्यांगजनों सहित, प्रत्येक व्यक्ति के सशक्तिकरण की कुंजी’
राष्ट्रपति ने कहा, शिक्षा, दिव्यांगजनों सहित, प्रत्येक व्यक्ति के सशक्तिकरण की कुंजी है। मेरा मानना है कि शिक्षा में भाषा सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करने के लिए तथा दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को और सुलभ बनाने के लिए, हमें टेक्नोलॉजी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
‘दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें’
उन्होंने यह भी कहा कि मैं औद्योगिक समूहों, निजी संस्थाओं और सिविल सोसाइटी से आग्रह करती हूं कि वे अपने संस्थाओं में बुनियादी ढांचे को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने के प्रयास करें और उनके सशक्तिकरण का प्रयास करें। आगे जोड़ते हुए राष्ट्रपति बोलीं मैं समाज के सभी वर्गों से अपील करती हूं कि वो दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें।