कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो सालों से दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. कई बिजनेस बंद हुए, तो कई ऑफिसों ने अपने कर्मचारियों की छटनी तक कर दी. अब जब हम नए साल में पहुंच चुके हैं, न्यूयॉर्क टाइम्स ने कुछ विशेषज्ञों से 2022 और उसके बाद कामकाज की दुनिया में होने वाले बदलाव के संबंध में चर्चा की है. दैनिक भास्कर अखबार में इस विषय पर छपी न्यूज रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्क प्लेस में होने वाले इन बदलावों में क्या प्रमुख ट्रेंड रहेंगे. इस रिपोर्ट में फूड चेन के ऑनर, सीनियर जर्नलिस्ट, इकॉनोमिस्ट और बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर ने ऑफिस ट्रेंड, खान-पान, नियोक्ता व कर्मचारी और टेक्नोलॉजी को लेकर अपनी बात रखी है
कर्मचारी अब तीन दिन ही ऑफिस जाना चाहेंगे
इस रिपोर्ट में यूके की सीनियर जर्नलिस्ट टीना ब्राउन (Tina Brown) बताती हैं कि कोविड से बहुत पहले ही लोग डिजिटल थकान और ऊब का सामना कर रहे थे. ज्यादातर लोग अधिक काम नहीं करना चाहते हैं. वे केवल नौकरी बनाए रखने और पेशेवर रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए जरूरी काम ही करना चाहते हैं. वर्कर अब वर्कप्लेस पर अपनी समस्याएं उन लोगों से शेय़र नहीं करना चाहते हैं जिनकी भूमिका आपको केवल ढाढ़स बंधाने की है. भविष्य में कर्मचारी सप्ताह में केवल तीन दिन ऑफिस आना चाहेंगे. बाकी दिन वे अपनी गोपनीय दुनिया में खो जाना चाहते हैं.
ये सुविधा है पर स्वर्ग नहीं…
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल की प्रोफेसर रोसाबेध मॉस केंटर (Rosabeth M. Kanter) के अनुसार, टेक्नोलॉजी ने कहीं से भी काम करना संभव बनाया है, उसने संस्थाओं को बदला है और कई जरूरी सेवाएं मुहैया कराई हैं. लेकिन, बड़े सुधारों के बिना टेक्नोलॉजी कर्मचारियों के स्वर्ग का सृजन नहीं कर सकती है. वर्कप्लेस पर युवा प्रतिभागियों के एक्टिविज्म से भी परिवर्तन होगा. वे फैसलों में अधिक भागीदारी चाहते हैं, ये काफी नहीं. टेक्नोलॉजी सुविधा संपन्न बनाती है, लेकिन नियम तो मनुष्य बनाते हैं.