आसमान में अपनी ताकत को और मजबूती देने के लिए भारतीय वायु सेना ने फाइटर जेट सुखोई-30 से ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का सफल परीक्षण किया। एंटी-शिप संस्करण की यह मिसाइल 400 किमी. की रेंज में किसी भी लक्ष्य को मार गिराने में सक्षम है। बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में किया गया यह सफल परीक्षण वायु सेना को लंबी रेंज तक मारक क्षमता हासिल करने में रणनीतिक रूप से मजबूती देगा। साथ ही भविष्य के युद्धों में भारत दुश्मन देश पर आसमान से हमला करने में अधिक प्रभावी होगा। फिलहाल वायु सेना के पास दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस 40 सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं। इस उपलब्धि को हासिल करने में भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, बीएपीएल और एचएएल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वायु सेना की रणनीतिक क्षमता में हुआ इजाफा
भारतीय वायु सेना ने गुरुवार को सुखोई-30 एमकेआई विमान से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में एक पोत को लक्ष्य बनाकर 400 किमी. की रेंज वाली ब्रह्मोस एयर मिसाइल दागी। विस्तारित रेंज की इस मिसाइल ने सटीकता के साथ पोत को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया। मिसाइल ने वांछित मिशन उद्देश्यों को हासिल करके अपनी कामयाबी साबित की। इसके साथ ही वायु सेना ने लंबी दूरी पर जमीन, समुद्री लक्ष्यों के खिलाफ सुखोई-30 विमान से सटीक हमले करने के लिए महत्वपूर्ण क्षमता में वृद्धि हासिल की है। सुखोई विमान के उच्च प्रदर्शन के साथ मिसाइल की विस्तारित रेंज से वायु सेना की रणनीतिक क्षमता में इजाफा हुआ है, जिससे भविष्य के युद्ध क्षेत्रों पर भारत को बढ़त मिलेगी।
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस हैं 40 सुखोई
फिलहाल वायु सेना के पास दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज ब्रह्मोस मिसाइल से लैस 40 सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं। अब इसके बाद वायु सेना अपने 30 और सुखोई विमानों को 400 किलोमीटर से अधिक रेंज की ब्रह्मोस मिसाइल से लैस करने की तैयारी कर रही है। वायु सेना के पास ब्रह्मोस से लैस 70 सुखोई विमान हो जाने के बाद भारत की आसमानी ताकत और ज्यादा बढ़ जाएगी। इस मिसाइल की रेंज पहले 290 किमी. थी, लेकिन इसे अब 400 किमी. से अधिक तक बढ़ा दिया गया है।
वायु सेना की बढ़ेगी आसमानी ताकत
भारतीय वायु सेना नए तकनीकों और हथियारों को शामिल कर लगातार अपनी ताकत बढ़ा रही है। 30 और लड़ाकू सुखोई विमानों को ब्रह्मोस से लैस करने के बाद वायु सेना के पास 70 ऐसे सुखोई विमान हो जाएंगे जो ब्रह्मोस जैसे घातक एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस हैं। सुखोई विमानों के उच्च प्रदर्शन के साथ एयर लांच ब्रम्होस मिसाइल की विस्तारित रेंज क्षमता भारतीय वायु सेना को एक रणनीतिक ताकत बढ़त देगी। इस मिसाइल ने अपनी असाधारण सटीकता के साथ हमला करने के मामले में भारतीय वायुसेना को एयरोस्पेस की दुनिया में बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
सुखोई-30 के समुद्री हमले की क्षमता में होगा इजाफा
सुखोई लड़ाकू विमानों से समुद्र में जहाजों पर मिसाइल से हमले करने की क्षमता विकसित करने के बाद वायु सेना ने अगस्त, 2020 में तमिलनाडु के तंजावुर में ब्रह्मोस से लैस सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट्स की 222 ‘टाइगर शार्क’ स्क्वाड्रन को कमीशन किया था। रणनीतिक कारणों से तंजावुर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इसीलिए सुखोई-30 एमकेआई को यहां तैनात करने का फैसला लिया गया था। वायु सेना ने सुखोई-30 से समुद्री हमले की क्षमता को देखते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी मौजूदगी सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। टाइगर शार्क स्क्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान हैं, जिनमें से लगभग 6 ब्रह्मोस से लैस हैं।
रडार की पकड़ से भी बाहर ब्रह्मोस मिसाइल
आवाज की गति से भी तेज उड़ान भरने वाली ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। बहुत नीची उड़ान भरने के कारण इस मिसाइल को राडार पकड़ नहीं पाती। इसकी गति के कारण ब्रह्मोस को लक्ष्य से पहले मार गिराना आसान नहीं है क्योंकि इसे रोकने के लिए दागी जाने वाली मिसाइलों की रफ्तार इससे आधी ही है। इसमें मुख्य तौर पर दो स्टेज हैं। पहले चरण में इसके बूस्टर इंजन मिसाइल को सुपरसोनिक स्पीड देते हैं। इनका काम इसके बाद खत्म हो जाता है। इसके बाद रोल शुरू होता है लिक्विड रैमजेट या दूसरे स्टेज का। इसमें मिसाइल आवाज की तीन गुना तक स्पीड पकड़ती है। भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम ब्रह्मोस कॉरपोरेशन की ओर से विकसित की जा रही इस मिसाइल का नामकरण भारत की ब्रह्मपुत्र व मास्को से होकर बहने वाली मस्कवा नदी के नाम को मिलाकर किया गया है।