देश में महंगाई कम ही नहीं हो रही जिससे आम जनता को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। सभी चीज़ों के दाम बढ़ रहे जिसमें चीनी जैसी अहम सामग्री भी शामिल है। इसकी वजह से लोग उन सामानों को कम ही खरीद रहे है और इससे कंपनियों को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि इसके वजह से उनके गौदामों में माल भर चुका है।
देश में चीनी की कीमत को कम करने के लिए और चीनी मिलों को राहत देने के लिए भारत सरकार ने ये फैसला लिया है कि वे 60 लाख टन चीनी का निर्यात करेंगे। इसकी जानकारी खाद्य मंत्रालय 6 नवंबर को दे चुकी है।
1 नवंबर 2022 से लेकर 31 मई 2023 तक 60 लाख चीनी निर्यात करने का लक्ष्य है जिसकी अनुमति खाद्य मंत्रालय और भारत सरकार दे चुकी है। इस साल भारत में करीब 3.65 करोड़ टन चीनी उत्पाद करने का अनुमान है जो 1 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। इसकी जानकारी चीनी उद्योग संगठन ईस्मा ने दी है।
सरकार के इस निर्णय के बाद अब चीनी मिलों के पास ये सुविधा होगी कि वे अपने माल को खुद या फिर निर्यातकों के माध्यम से विदेश में बेच सकते है। चीनी का वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि 2022-23 के लिए देश को करीब 2.75 करोड़ टन चीनी चाहिए और ईस्मा का कहना है कि इस साल करीब 3.65 करोड़ चीनी उत्पादन होगा तो अब सवाल ये है कि बाकी बची चीनी का क्या होगा?
इसका जबाव भी मंत्रालय ने दिया है। उन्होंने कहा कि 50 लाख टन चीनी का इस्तेमाल एथनॉल बनाने के लिए की जाएगी और बाकी बची हुई चीनी को बाहर निर्यात किया जाएगा। महाराष्ट्र और कर्नाटक में पहली ही चीनी उत्पादन की प्रकिया शुरू हो चुकी है, वही उत्तर प्रदेश और बाकी गन्ना राज्यों में भी ये 1 हफ्ते के भीतर शुरू हो जाएगी।
आपको बता दे कि भारत चीनी उत्पादन के मामले में दुनिया में नंबर 1 देश है और वही चीनी निर्यातक के मामले में भारत ब्राज़ील के बाद दूसरे नंबर पर आता है लेकिन इस साल ब्राज़ील में गन्ना उत्पादन बहुत कम रहा जिससे भारतीय चीनी की मांग दुनिया में बढ़ गई है।
इसी के चलते भारत सरकार ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मंज़ूरी दी है। अगर घरेलू बाज़ार में चीनी की मांग बढ़ती है तो सरकार इनकी कीमतों को कम करेगी जिससे आम जनता को भी राहत मिले।