राष्ट्रीय

इसरो ने गगनयान के क्रू मेंबर्स की सुरक्षा के लिए किया सफल परीक्षण



सरो के मानव मिशन गगनयान की तैयारियां अंतिम दौर में है। ऐसे में इसरो ने  गगनयान मिशन के पैराशूट सिस्टम का सफल परीक्षण किया। ये परिक्षण यूपी के झांसी में किया गया। दरअसल, उत्तर प्रदेश के झांसी से थोड़ी दूर मिलिट्री कैंट इलाके के बबीना फील्ड फायर रेंज में इसरो के गगनयान मिशन के पैराशूट सिस्टम का परीक्षण सफल रहा। इसरो ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट में सफल परीक्षण के बाद अब पैराशूट की तस्वीर शेयर की हैं।

पैराशूट की ताकत और क्षमता का परीक्षण

इसरो ने बताया कि विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के वैज्ञानिकों ने 18 नवंबर को बबीना फील्ड फायर रेंज में सफल परीक्षण किया। इसे इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट  (IMAT) नाम दिया गया। इसमें पैराशूट की ताकत और क्षमता का परीक्षण किया गया, जिससे भविष्य में गगनयान के क्रू मॉड्यूल की लैंडिंग कराते समय कोई समस्या न हो।

वासुसेना के एयरक्राफ्ट के सहयोग से हुआ टेस्ट

गगनयान में तीन पैराशूट मुख्य भूमिका निभाएंगे। इस परीक्षण से ये पता किया गया कि अगर एक पैराशूट खराब हो जाता है तो दूसरा पैराशूट क्रू मॉड्यूल की सही लैंडिंग करा पाएगा कि नहीं। इन पैराशूट की मदद से पांच टन के डमी पैराशूट को जमीन पर लैंड कराया गया। इसका वजन भी उतना ही है जितना गगनयान के क्रू मॉड्यूल को होता है। इस परीक्षण के लिए भारतीय वासुसेना के IL-76 एयरक्राफ्ट की मदद ली गई।

सात सेकेंड के भीतर खुला पैराशूट

पैराशूट को ढाई किलोमीटर ऊपर से गिराया गया था। इसके बाद दो छोटे पाइरो-बेस्ड मोर्टार पायलट पैराशूट छोड़े गए। सात सेकेंड के भीतर दोनों पैराशूट खुल गए। इस परीक्षण को पूरा होने में महज 2 से 3 मिनट का समय लगा। इसरो ने बताया कि गगनयान में सिर्फ ये तीनों मुख्य पैराशूट हैं जबकि इसमें तीन छोटे एसीएस, पायलट और ड्रोग पैराशूट भी लगाए जाएंगे। ताकि क्रू मॉडयूल को सही दिशा में लाकर उसकी गति को तय मानकों तक कम किया जा सके। पैराशूट की सफल लैंडिंग देख सभी वैज्ञानिक खुशी से झूम उठे। यह परीक्षण इसरो, डीआरडीओ, भारतीय वायसेना और भारतीय सेना की मदद से पूरा किया गया।

बता दें कि अंतरिक्ष की दुनिया में इसरो लगातार अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। हाल ही में इसरो की मदद से अंतरिक्ष में पहली बार प्राइवेट कंपनी का रॉकेट भेजा गया। वहीं आने वाले समय में एक और इतिहास रचने जा रहा है। इसरो 26 नवंबर को ओशनसैट-3 और 8 नैनो उपग्रहों के साथ पीएसएलवी-सी54 (PSLV-C54) लॉन्च करेगा।

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