डॉ. इन्द्रेश मिश्रा (आरएनए लाइव डेस्क)
नई दिल्ली, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पीएचडी रेगुलेशन 2022 का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसी के तहत यूजीसी ने पीएचडी के लिए नई गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें निर्धारित कर दिया गया है कि अब जो प्रोफेसर सेवानिवृत्ति के करीब है वह अब पीएचडी नहीं करा सकेंगे।
उपरोक्त गाइडलाइन के अनुसार अब सभी प्रोफेसर पीएचडी कराने के लिए अहर्ता नही रख सकेंगे।
- ऐसे प्रोफेसर जिनकी सेवानिवृत्ति के लिए 3 वर्ष से कम समय बचा है वे नए शोधार्थियों के पीएचडी गाइड नही बन सकेंगे।
यूजीसी रेगुलेशन के तहत वे अपने रिटायरमेंट तक पहले से पंजीकृत शोधार्थियों का सुपरविजन कर सकेंगे।
- 62 साल से अधिक उम्र के प्रोफेसर्स पीएचडी गाइड नहीं बन सकेंगे। सेवानिवृत्ति के बाद को-गाइड के रूप में 70 वर्ष की उम्र तक ही कार्य कर सकते हैं। कुल मिलाकर अभी तक इस मामले में स्पष्टता का अभाव था, जिसे दूर कर दिया गया है।
समय-समय पर देनी होगी प्रोग्रेस रिपोर्ट
- नए नियमों के तहत शोधार्थी को प्रत्येक सेमेस्टर के बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट, अपने शोध गाइड के अलावा रिसर्च एडवायजरी कमेटी के सामने भी प्रस्तुत करनी होगी। पहले के नियमों में ऐसा नही था शोधार्थी अभी तक यह पीएचडी गाइड से प्रमाणित करा लेते थे।
- पीएचडी थीसिस का मूल्यांकन उसके गाइड और कम से कम दो बाह्य परीक्षकों (एक्सटर्नल एग्जामिनरों) द्वारा किया जाएगा। इसमें भी यूनीवर्सिटी यदि संभव हो तो एक विदेश के एग्जामिनर से मूल्यांकन कराएगा।
- यह रेगुलेशन पहले पंजीकृत शोधार्थियों पर या उन विद्यार्थियों पर लागू नहीं होगा जिनके परिणाम आ चुके हैं और पंजीयन की प्रक्रिया जारी है।
जानिए कितने क्रेडिट का होगा कोर्स वर्क
- पीएचडी कोर्स वर्क के लिए अब शोधार्थी को कम से कम 12 क्रेडिट की जरूरत होगी। इसके लिए रिसर्च एडवायजरी कमेटी यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त ऑनलाइन कोर्स की सिफारिश भी कर सकती है।