नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में दाखिलों में केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सांसदों सहित सभी 17 श्रेणियों के विशेष कोटे पर तात्कालिक प्रभाव से अस्थाई रूप से रोक लगा दी है। लेकिन माना जा रहा है कि अब इसका बहाल होना मुश्किल है। इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने भी पिछले साल केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के अपने कोटे को खत्म कर दिया था। इससे पहले तक शिक्षा मंत्री निर्धारित सीटों के अतिरिक्त, अपने कोटे से हजारों छात्रों को केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश दिला सकते थे।
केंद्रीय विद्यालय संगठन के अनुसार सांसदों के केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले से जुड़े कोटे को खत्म करने को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इसे सिर्फ अस्थाई रूप से रोका गया है। इसके साथ ही यह जानकारी दी गई कि दूसरी श्रेणियों के भी विशेष कोटे की भी समीक्षा की जा रही है। इनमें कलेक्टर, केंद्रीय विद्यालय कर्मियों और पहले बच्चे के बालिका होने आदि से जुड़ा कोटा शामिल है।
केवी संगठन के अनुसार समीक्षा के बाद इन्हें केंद्रीय विद्यालय संगठन से जुड़े बोर्ड आफ गर्वनेंस (BOG) की बैठक में रखा जाएगा। जिसके अध्यक्ष शिक्षा मंत्री होते हैं। इसमें किस कोटे को जारी रखना और किस को खत्म करना इस पर आखिरी निर्णय लिया जायेगा।
अभी तक सांसद अपने कोटे से 10 बच्चों का करा सकते थे प्रवेश
मौजूदा समय में प्रत्येक सांसद किन्हीं भी दस बच्चों का किसी भी कक्षा में अपने विशेष कोटे से दाखिला दिला सकते थे। इनमें लोकसभा सदस्य को अपने लोकसभा क्षेत्र के बच्चों को जबकि राज्यसभा सदस्य जिस प्रदेश से चुनकर आते हैं उस प्रदेश के किन्हीं भी दस बच्चों को प्रदेश के किसी भी जिले के केंद्रीय विद्यालय में दाखिला दिला सकते हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के विशेष कोटे को खत्म करने की मांग संसद में भी उठी थी। कई सांसदों का कहना था कि कभी-कभी यह उनकी पराजय का भी कारण बन जाता है। बड़ी संख्या मे आवेदन आने के बाद भी अभी उनके पास दस सीटों का ही कोटा होता है, क्षेत्र के जिन लोगों के बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पाता वे लोग नाराज होकर विरोध करने लगते हैं। जिसकी वजह से ही सांसदों ने कोटा को बढ़ाये जाने या खत्म करने की मांग रखी थी।